भले ही आज का दौर आईपॉड, लैपटॉप और मोबाइल जैसे आधुनिक संसाधनों का आ गया है, लेकिन रेडियो की तो बात आज भी अलग ही है। इतने गैजेट्स उपलब्ध होने के बावजूद जो सुकून रेडियो सुनकर मिलता है वह टीवी या लैपटॉप से भी नहीं मिलता।
ब्रिटेन में मीडिया एंड द मूड ऑफ द नेशन ने जब लोगों की पसंद पर अध्ययन किया तो पाया गया कि जो लोग लगातार टीवी देखते हैं, कंप्यूटर का प्रयोग करते हैं उनसे कहीं ज्यादा खुशमिजाज रेडियो सुनने वाले हैं। इस अध्ययन में यह भी पाया गया कि जो लोग इस तरह के किसी भी माध्यम का प्रयोग नहीं करते हैं उनकी तुलना में रेडियो सुनने से लोगों का खुशी का स्तर 100 प्रतिशत और एनर्जी लेवल 300 प्रतिशत रहता है। रिपोर्ट कहती है कि रेडियो को लोगों ने लाइफस्टाइल सपोर्ट सिस्टम बना रखा है, जिसकी बदौलत वे रोजमर्रा की जिंदगी में खुशमिजाज बने रहते हैं। अध्ययन के अनुसार टीवी से लोगों की खुशी का स्तर 62 प्रतिशत और एनर्जी लेवल 180 प्रतिशत रहता है। |
मां की लोरी जैसी मीठी विविध भारती
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हमारी पीड़ी के बचपन की प्लानिंग अकसर टीवी पर दिखाई जाने वाली हफ्ते की दो
हिंदी फिल्मों और दो चित्रहार प्रोग्रामों के इर्द-गिर्द ही घूम लिया करती थी
...उस...
3 वर्ष पहले
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